दोस्ती

          ना जाने ये दोस्ती किसने बनाई
          बड़ी खूबसूरती से दुनिया सजाई।
दोस्ती की कीमत पूछी जब हमने
उसने बस एक प्यारी-सी हँसी बताई।
           पूछा हमने, कहाँ मिलेंगे हमें दोस्त
           उसने दोस्तों से पूरी जन्नत सजाई।
पूछा हमने, कितने मिलेंगे दोस्त हमें
उसने दोस्तों की पूरी महफ़िल दिखाई।
          पूछा हमने, कैसे दिखते हैं दोस्त हमारे
          उसने खुद की सूरत दिखाई।
फिर पूछा, कैसी होगी दोस्ती हमारी
उसने रंग-बिरंगे फूलों-सी बताई।
          पूछा फिर, कब मिलेंगे दोस्त हमें
          उसने रोशनी से भरी सुबह दिखाई।
पूछा जब कि दोस्त कब तक देंगे साथ हमारा
उसने जिंदगी की आखिरी सास बताई।
          ना जाने ये दोस्ती किसने बनाई
          बड़ी खूबसूरती से दुनिया सजाई।

-आरती मानेकर

29 thoughts on “दोस्ती

      1. Read मीठी पड़ोसन ! I think you have written this poem not as a poetess ( female ) , but as a poet ( male ) . I may be wrong . Btw , my Hindi is not very good .

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