शब्द

अक्षर-अक्षर
मिल बन जाना,
कोई शब्द नया-सा
अपना हो या अंजाना।
सुंदर-सुंदर शब्द
मनभावन,
हर्षित, पुलकित
मोहित हो मन।
ओ शब्द, गरल
न तुम हो जाना,
तोड़ न देना कोई
रिश्ता पुराना।
रिश्तों में मिश्री
तुमसे ही हो,
प्रसन्नता का तुम
सबब बन जाना।
पहचान मेरी
तुम ही बनो
और रचना की तुम
गरिमा बन जाना।

-आरती मानेकर

19 thoughts on “शब्द

  1. You have got the essence of to be great poetess , In fact you work in progress.

    तुम जो हो, बस वो हो जाना
    तुम अपने रंग में रंग जाना,
    पानी के जैसे बह जाना ।।

    कवि बचे ना जिस कविता में,
    तुम ऐसी कविता हो जाना
    तुम जो हो बस वो हो जाना
    पानी के जैसे बह जाना ।।

    आपकी शान में मेरी तरफ से लिखी हुई , दो पंक्तियाँ को स्वीकार करें

    धन्यवाद ।।

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