मेरे सूने आँगन में, आकर बैठी नन्ही चिड़िया, कर रही थी शैतानी।
खाकर दाना, पीकर पानी, अब करने लगी थी वो मनमानी।।
फुदक-फुदककर चलती थी, तो सर्र से कभी उड़ जाती थी।
मैं जो गुमसुम बैठी रहूँ, तो गाकर गाना मुझे हँसाती थी।।
एक छोटी-सी चिड़िया ने चहकाया था मेरा आँगन।
एक छोटी-सी चिड़िया ने याद दिलाया था बचपन।।
-आरती मानेकर
Fir yaad aaya woh masoom bachpan jab ham chidiya ko pakadne ki koshish karte thhey aur woh hamare haath nahin lagti.
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Ha..
😊
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Seriously, you know how to express emotions 🙂 nice 🙂 keep writing
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Thanks…😇
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