चाँद

यूँ तो बहुत से शायरों, कवियों, गीतकारों ने
अपनी शायरियों, कविताओं, गीतों में,
चाँद का वर्णन कहीं-न-कहीं तो किया ही होंगा।
और उन रचनाओं के साथ ही उन्होंने,
उस चाँद को अपना बना लिया होंगा।

हर रात को भी शायद,
घमण्ड होगा इसी बात का कि,
वो चाँद है, जो उसके आँचल में रहता है।
रात के वे चमकते हुए तारें भी,
इठलाते होंगे अपनी किस्मत पर कि,
रात के खामोश समां में वो चाँद उनके साथ है।

चाँद शोभा है हर रात की,
तारों से चमकते उस आसमान की,
शंकर के श्रम-सींकरों पर,
शोभा बनी रहे उस चाँद की।

पूर्णिमा की रात चाँद का जो
पूर्ण स्वरूप देखने को मिलता है।
वहीं अमावस्या की काली रात को,
चाँद की याद का बस सहारा ही
इन आँखों को मिलता है।

सोलह कलाओं के साथ चाँद का
सौंदर्य क्रम प्रतिदिन बढ़ता है।
चाँद के इस अनुपम सौंदर्य से ,
नारी-निशा का रूप निखरता है।

माना कि है चाँद में दाग भी,
वो दाग नारी के मुख पर
तिल के समान लगता है।

शशि, रजनीश, चन्द्र, रजनीपति, मयंक!
है चाँद के नाम ये अनेक।
चाँद के इन अनेक नामों के समान,
जग में लोग भी है अनेक!

पहले चाँद एक था, केवल एक,
आज प्रत्येक व्यक्ति का अपना चाँद है,
अलग -अनेक!

चाँद का यह गुण है कि वह,
दिन के ताप का नाश करके,
शीतलता भरी रात हमें देता है।
शीतलता भरी रात का यह नज़ारा,
मेरे दिल को सुकून देता है।

अब, मैंने भी अपनी कविता में,
चाँद का वर्णन कर दिया।
और उस चाँद को अपना बना लिया।
अब, मैं “चाँद” को पाना चाहती हूँ।
लेकिन उस तक जाने में असमर्थ हूँ।
चाहती हूँ, वो चाँद स्वयं मुझ तक आए,
और मैं उसे हमेशा के लिए पा लूं।
फिर मैं रात-तारों के समान,
अपनी ही किस्मत पर इताराऊ।
शोभा बने वह मेरी भी, यह अभिलाषा है।
ना रहे सहारा यादों का, यह भी मेरी आशा है।

जैसे है इस जग के पास,
प्रत्येक का चाँद अलग-अनेक!
वैसे मेरे पास भी हो,
अपना स्वयं का चाँद,
                           केवल एक!!

-आरती मानेकर

Written on 28/08/2012😂😂
Childhood diary…..

22 thoughts on “चाँद

  1. उम्दा,,!!

    हो सके तो चाँद के साथ मेरी गुफ्तगू ज़रूर पढ़ना,, मेरी पहली कविता मेरे ब्लॉग पर 😊

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