काहे मेरी बिटिया को नींदिया न आये…
रात सारी बीत जाये, नींदिया न आये…
काहे मेरी गुड़िया को नींदिया न आये…!
खुद भी न सोये वो, मुझे भी जगाये…
खेल सारी रात खेले, मुझको सताये…
मीठी-सी उसकी हँसी, मन को भाये…
काहे मेरी बिटिया को नींदिया न आये…!
आज हरी बगिया में उसको ले जाऊ..
बेला के झूले में उसको झूलाऊ…
काश ये हरियाली उसको सुलाये…
आज मेरी गुड़िया को नींदिया न आये..!
नन्हीं-सी उसकी आँखें, देखे बड़े प्यार से…
“ले ले मुझे गोद में माँ”, बोले बड़े लाड़ से…
आज मेरे आँचल में उसको छुपाऊँगी…
तब जाके बिटिया को नींद आ जायेगी..!
चाँद-तारें रात सारी उसको सुलायें…
फिर पुरवा उसे नींद से जगाये…!
-आरती मानेकर
nice. 😊😊
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You are great poetess !
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Thanks a lot…. Mr poet..😊😊😊
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😊
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उम्दा !
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आभार आपका..!😊
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its my pleasure to get a chance to read your beautiful creations 🙂
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Thanks again….😊😊😊
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:))
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Awesome… Beautiful
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Thanks Shashank…😊😊😊😊✌
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Gud
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