Lori…..

काहे मेरी बिटिया को नींदिया न आये…
रात सारी बीत जाये, नींदिया न आये…
काहे मेरी गुड़िया को नींदिया न आये…!

खुद भी न सोये वो, मुझे भी जगाये…
खेल सारी रात खेले, मुझको सताये…
मीठी-सी उसकी हँसी, मन को भाये…
काहे मेरी बिटिया को नींदिया न आये…!

आज हरी बगिया में उसको ले जाऊ..
बेला के झूले में उसको झूलाऊ…
काश ये हरियाली उसको सुलाये…
आज मेरी गुड़िया को नींदिया न आये..!

नन्हीं-सी उसकी आँखें, देखे बड़े प्यार से…
“ले ले मुझे गोद में माँ”, बोले बड़े लाड़ से…
आज मेरे आँचल में उसको छुपाऊँगी…
तब जाके बिटिया को नींद आ जायेगी..!

चाँद-तारें रात सारी उसको सुलायें…
फिर पुरवा उसे नींद से जगाये…!

-आरती मानेकर

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