मुझे जीने दे!

थक-सा गया है मेरा तन, मेरा मन और
थक-सी गयी हूँ मैं
तेरी बाहों के झूले में
तेरी गोद के तकिये पर
सिर रखकर ज़रा
मुझे सोने दे, मुझे सोने दे!

दुनिया की कश्मकश में, वक़्त के फेरों में
उलझ-सी गई हूँ मैं
ज़रा मेरा हाथ थाम ले
ज़रा मुझे सीने से लगा
तेरी आँखों की भूलभुलैया में ज़रा
मुझे खोने दे, मुझे खोने दे!

रंगों में रंग अनेक, फिर भी
बेरंग-सी हो गई हूँ मैं
तेरी कला की कलम से
तेरे प्यार के रंगों से
तेरे दिल के पटल पर ज़रा
मुझे रंगने दे, मुझे रंगने दे!

जिंदगी की रफ़्तार में, जीत में, हार में
रुक-सी गई हूँ मैं
थाम कर तेरी अंगुलियों को
कदम से कदम मिलाकर
साथ-साथ तेरे ज़रा
मुझे चलने दे, मुझे चलने दे!

ना चाहती थी, फिर भी आज तुझसे
बिछड़-सी गई हूँ मैं
मिलजा मुझे फ़िर से और
खुशी के इन लम्हों में
तेरे काँधे पर सिर रखकर ज़रा
मुझे रोने दे, मुझे रोने दे!

तुने ना मुझे कभी पढ़ा, वो बंद
क़िताब-सी बन गई हूँ मैं
आज हर एक पन्ना पढ़ ले
प्यार का हर नग़मा सुन ले
नई कशीश दिल में जगाकर ज़रा
मुझे प्यार दे, मुझे प्यार दे!

बादल बरसते हैं हर साल, फिर भी
प्यासी ही रह गई हूँ मैं
तेरे आंसुओं के जाम से
भर कर उस प्याले को
लबों पर लगाकर ज़रा
मुझे पीने दे, मुझे पीने दे!

पत्थर की चोटों से, घाव लगे और
टूट-सी गई हूँ मैं
मुझे फिर से संवारकर
प्यार का नया आसमान दे
और उस आसमान पर ज़रा
मुझे उड़ने दे, मुझे उड़ने दे!

सह कर इस दुनिया के दुःखों को
लाश-सी बन गई हूँ मैं
मुझमें नई-सी साँस भर दे
दिखला मुझे एक नई-सी दुनिया
मेरे संग-संग तू भी जी ले ज़रा
मुझे जीने दे, मुझे जीने दे!

-आरती मानेकर

46 thoughts on “मुझे जीने दे!

  1. Arti,
    kuchh yun bayan kar gayee tum apne khayalon ko, har lafz kisi tanhayee ka alam byan karta ha, tumhe kabhi ishk hua kisi se pehli baar, tumhara dil kisi ke liye ahen bharta ha.

    Its a compliment for writing such a bful post right from the bottom of your heart. Just loved it

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  2. बेहतरीन ज़ज़्बातों से लबरेज़ अपने प्रियेतम को संबोधित करती ये रचना बहुत ही खूब बन पड़ी है आरती जी,
    तह-ए-दिल बधाई!

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