Dvandv (द्वंद्व)

क्या लिखूँ, कैसे लिखूँ?
सब समझ से बाहर है मेरे।
कब तक काटती रहूँगी मैं,
इस लम्बी जिंदगी के फेरें?

कभी जीने की मंशा बिल्कुल न होती,
कभी जीने को दिल करता है।
क्या है ये, क्यों है ये?
बस सोचके दिल डरता है।

कभी फूलों- सा प्यारा लगे जीवन,
कभी शूल-सा ये चुभता है।
कोई तैरता है इस सागर में,
कोई बिना तिनके डूबता है।

कोई खुश है अपने प्रिय के साथ,
कोई यादों में रोता है।
पा लिया है यहाँ किसी ने सब कुछ,
कोई पल-पल में खोता है।

कभी खुल के हँस रही, तो कभी
गम के आँसू पी रही हूँ मैं।
ये जीवन तोहफ़ा है या सज़ा?
इस द्वंद्व में जी रही हूँ मैं।

-आरती मानेकर

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2 thoughts on “Dvandv (द्वंद्व)

  1. Yeh to dwand hi hai..
    ise toh jitna hi hoga..
    “Purity, perseverance and patience are three essentials to success any fight and about all, Love.”
    Enjoy fight.. get success.. my all blesses with u.

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