Happy Birthday Anju🖤❤️

प्यारी सखी अंजू!

सबसे पहले तो तुम्हें जन्मदिन की बहुत सारी शुभकामनाएँ। मेरे एक मित्र ने तुम्हारे लिए बधाई भेजी है कि तुम जल्दी भगवान बनो। अब उन्होंने ऐसा क्यों कहा है ये मैं तुम्हें बाद में फ़ोन पर समझा दूँगी।

इस पत्र में तुम्हारा हाल पूछना ज़रूरी नहीं समझती, जानती हूँ न मैं! तुम आज जब अपने घर के कामों से निवृत्त होकर फेसबुक खोलोगी और नोटिफिकेशन में अपने लिए यह पत्र पाओगी, तो निश्चित ही तुम्हारे चेहरे पर आश्चर्य मिश्रित मुस्कान होगी, जिसे मैं देख पाऊँ या न पाऊँ महसूस जरूर कर सकती हूँ। माँ नहीं हूँ तुम्हारी, लेकिन तुम्हें बड़ा तो मैंने ही किया है न! सच तो ये है कि मुझे बड़ा करने के क्रम में तुम स्वयं भी बड़ी होती गई और चीज़ें सीखती गई।

भौतिक दूरी बहुत अधिक नहीं है हमारे बीच, लेकिन आज तुमसे मिल भी नहीं सकती, सो यह पत्र लिख रही हूँ। सोशल मीडिया ने भौतिक दूरियों को कुछ कम जो कर रखा है। मुझे आदत नहीं है अपने किसी भी व्यक्तिगत जीवन के व्यक्ति को सार्वजनिक करने की, लेकिन मुझमें तुम मुझसे ज़्यादा लगती हो, तो लग रहा है जैसे ख़ुद से ही बात कर रही हूँ मैं, इसलिए यह पत्र यहाँ लिख रही हूँ।

लोग कहते हैं मैं तुम्हारे जैसी दिखती हूँ और जब कभी फुरसत में बैठकर अपने जीवन का आँकलन करती हूँ तो पाती हूँ कि हम दोनों का जीवन भी कुछ-कुछ एक जैसा ही है, समस्याएँ भी कुछ एक ही तरह की और शायद इसलिए तुम मुझे समझ भी पाती हो। मुझे लगता है मैं तुम्हारा पुनर्जन्म हूँ और एक जीवन में दो जन्म साथ-साथ चल रहें हैं। तुम जैसे जीती हो, वो लोगों की नजर में सामान्य होगा, लेकिन मेरे लिए वो सच में कमाल है। ऐसे जी पाना हर किसी के लिए कहाँ सम्भव है। मेरे जीवन के बारे में भी तुम यही कहती हो न!

शादी के 15 वर्ष बाद भी तुम जब भी मायके से जाती हो तो अनायास ही रो देती हो, तुम्हारे आँसू प्रमाण है कि बेटियाँ मायके से बिदा हो सकती हैं, दिल से कभी नहीं। तुम सबकी लाड़ली हो और रिश्तों को बाँधे रखती हो, ये सीखती हूँ मैं तुमसे। मैं कुछ छोटी थी, तब तुमने रक्षाबंधन पर पिताजी के लिए पत्र भेजा था, मैंने ही सबसे पहले पढ़ा था और बहुत ज़्यादा आनंदित भी हुई थी। इसी तरह हर तीसरे दिन तुमसे फ़ोन पर बात होती है और वैसा ही आनन्द हर बार मिलता है।

अंजू, बचपन में तुम मेरी यशोदा रही और अब सखी बन चुकी हो। बचपन में जब मुझे पीलिया हुआ था, तब तुम ही मेरा ख़ूब ध्यान रखती थी, नींद में मेरे ऊपर पंखा गिर गया और जान तुम्हारी जा रही थी। मुझे नहलाने और तैयार करने के काम तुम्हारे जिम्मे थे और अपनी पढ़ाई के बीच तुम इन्हें बड़े प्यार से करती भी रही। हाँ, भैया भी तुम्हारे इस प्रेम में बराबरी का हिस्सेदार रहा है हमेशा ही। मैं तुमसे कितनी ही बार लड़ी हूँ, तुमने फिर भी कभी अपना प्यार कम ना किया और अब मुझे लगता है कि हर रिश्ते की तरह हमारी लड़ाइयाँ भी जरूरी थीं, हमारे बीच प्रेम को और बढ़ाने के लिए। मुझसे कितनी ही गलतियाँ हुईं, लेकिन फिर भी तुमने हमेशा ये कहा है कि मैं ही तुम्हारी प्रिय सखी रहूँगी। ये बात मुझे जीवन को थोड़ा और जीने के लिए प्रेरित करती है।

याद है तुमने एक बार पूछा था कि तुम्हें क्या तुम्हारे फूफाजी जैसा साथी चाहिए? और मैंने मस्ती में कहा उनसे भी बेहतर और तुम थोड़ी चिढ़ गई, जो कि स्वाभाविक भी था, फिर मैंने कहा कि इनसे बेहतर कौन ही हो सकता है! अंजू, तुम किस्मत वाली हो लड़की, तुम्हें एक बेहतरीन जीवनसाथी मिला है। मैं भी किसी बेहतर की तलाश में नहीं हूँ री, बस चाहती हूँ कि मेरा साथी मुझे प्रेम से ज़्यादा सम्मान दे।
देखो न! मुझे मिलें हुनर, तुमसे उन्नत जरूर हैं, लेकिन कहीं न कहीं तुमसे ही पोषित हैं और तुम्हारे बच्चों के लिए तुम्हारी जगह मैं आदर्श बन गई। यह क्रम कितना सुंदर है और ये ऐसे ही चलते रहना चाहिए। सखी, कैसे घुलमिल गए हैं न हम एक-दूसरे के जीवन में!

अंत में भगवान से तुम्हारे लिए ढ़ेर सारी खुशियाँ और उत्तम स्वास्थ्य माँगती हूँ। जानती हूँ कि पत्र पढ़ते-पढ़ते तुम्हारे आँखों में आँसू आ जाएंगे, भावुक बहुत हो न तुम, और तुरन्त ही तुम मुझे फ़ोन भी करोगी, जिसका मैं इंतजार भी करूँगी। बाक़ी बातें अब वहीं होंगी, क्योंकि पत्र की लंबाई अब शायद ज़्यादा हो रही है।

प्रेम बना रहे।🖤❤️

तुम्हारी बालसखी
आरती

नोट-अंजू मेरी तीन बुआओं में सबसे छोटी है, जिन्हें कभी बुआ कहकर संबोधित ना करते हुए हमेशा ताई(बड़ी दीदी) कहा है हम बच्चों ने।