उम्मीद

ना जाने कि झूठ है या
सच है यह उम्मीद!

रात के बाद दिन आने की उम्मीद
उम्मीद जाने वाले के लौट आने की..
रोने के बाद मुस्कुराने की उम्मीद
उम्मीद जो खोया नहीं उसे पाने की…

ये उम्मीदें ही तो हैं
जो जिंदगी को साथ ले चलती है
इसलिए तो हर मन में
एक उम्मीद नई-सी पलती है।

उम्मीदें कहाँ हर किसी की पूरी होती है
फिर भी हर किसी को किसी से
कोई उम्मीद तो ज़रूर होती है।

हर उम्मीद पूरी होंगी
ये मेरी उम्मीद कहती है..!

-आरती मानेकर

27 thoughts on “उम्मीद

  1. उम्मीद पर ही दुनियाँ टिकी है.!
    उम्मीद है तो ज़िंदगी हसीन है.!!

    बहुत खूब आरती मानेकर जी

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  2. I really liked this post. Yeh umeed hi toh hai jo hmesha life mai rang lgaey rakhti hai! Thank you for the beautiful poem. Keep inspiring 🙂

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