मैं नहीं देना चाहती
अपनी भावी पीढ़ी को-
उत्तम शिक्षा,
पौष्टिक आहार
या सर्वसुविधायुक्त जीवन!
मुझे मिला है!
निश्चित है
मुझसे बेहतर उन्हें मिलेगा।
मैं कर रही हूँ प्रयास
कि उन्हें दे पाऊँ
अवसादमुक्त जीवन!
उनके लिए होगी स्वतंत्रता
कि वो कह पाए मुझसे
अपनी हर साधारण बात
और जता पाए
अपने असुरक्षा वाले भाव।
इस संवाद के बीच
ना बने अवरोध कभी
मेरा कोई व्यक्तिगत काम।
मैं पेशे से कुछ भी बन जाऊँ,
सबसे पहले बनूँगी
उनकी माँ!
-आरती मानेकर ‘अक्षरा’